दुर्गा पूजा पर निबंध : Essay on Durga Puja in Hindi 10 Lines on Durga puja with PDF

दुर्गा पूजा पर निबंध Essay on Durga Puja in Hindi

दुर्गा पूजा पर निबंध : Essay on Durga Puja in Hindi:

इस लेख में हम चर्चा करने जा रहे हैं दुर्गा पूजा पर निबंध (Essay on Durga Puja in Hindi) साथ मे दुर्गा पूजा पर १० पंक्तियाँ और दुर्गा पूजा पर FAQs।

दुर्गा पूजा पर निबंध का प्रस्तावना:

पूजा आम तौर पर हम सभी करते है। सभी धर्मो मे अलग-अलग देवी देवताओं की पूजा का विधान है। अब प्रश्न ये है की हम कब, कितनी व किसकी पूजा करे?

“गुरु गोविंद दोऊ खड़े,
काके लागूं पांय |
बलिहारी गुरु आपने,
गोविंद दियो बताय ||”

इन सब का ज्ञान तो हमे गुरु ही दे सकते है अर्थात हमे गुरु दीक्षा अवश्य लेनी चाइए। वही हमे ईश्वर से जोड़ सकते है। भगवान हम से सिर्फ सच्ची श्रद्धा व भक्ति की कामना रखते है ना की धन दोलत व आडम्बर की। ईश्वर तो हमारे द्वारा दी गई सभी वस्तुओं को स्वीकार करते है।

“पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति |
तदहं भक्त्युपह्त्मश्रामि प्रयतात्मन: ||”

दुर्गा पूजा का इतिहास:

हिंदू पौराणिक शास्त्र जैसे देवी भागवत पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, देवी महात्म्य आदि इसके बारे में विभिन्न कहानियों का उल्लेख करते हैं। प्राचीन कथा के अनुसार प्राचीन काल में राजा सुरथ देवी दुर्गा की आराधना की थी अपना खोया राज्य वापस पाने के लिए। प्राचीन काल में श्री राम ने रावण का वध करने के लिए मां दुर्गा की पूजा की थी, इसलिए इसे शारदीय दुर्गा पूजा के नाम से जाना जाता है।

दुर्गा पूजा का महालया:

महालय दुर्गा पूजा से पहले की अमावस्या को मनाया जाता है। टीवी और रेडियो पर महालया के दिन भोर में शुरू होता है चंडीपाठ। इसके बाद आता है महालया का नाटकीय रूप। जहां देवी दुर्गा महिषासुर का वध करके असत्य पर सत्य की विजय कराती हैं।

दुर्गा का प्रक्ट्ये:

वैसे तो ये बता पाना असम्भव सा प्रतीत होता है क्योंकि ये तो अनादी शक्ति की अनंत माया है पर फिर भी हमारे शास्त्रों मे वर्णन है की शक्ति का प्रक्ट्ये सभी देवताओ के अंगो से माना गया है। इसके बाद देवी ने अनेको रूप लिए। इसलिए देवी को अनेको नामो से जाना जाता है जैस – महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती। ये तीनो देविया एक ही स्वरूप है पर अलग-अलग असुरो का वध करने के कारण इन्हें भाती-भाती नामो से जाना जाता है और इनकी पूजा भी 3 देवताओ के साथ प्रथक-प्रथक रूप मे होती है।

दुर्गा पूजा शक्ति का महत्व:

दुर्गा मात्र एक शब्द नही है, दुर्गा का अर्थ है- दु : + गम

अर्थात जो सभी दुखो का नाश करे वह है दुर्गा। दुर्गा मात्र प्रथक एक शक्ति नही है। इनमे त्रिदेवियो की शक्तिया विधमान है। जिनके आगे सभी देवता भी नतमस्तक होते है। देवताओ ने भी शक्ति की प्राप्ति के लिए देवी की पूजा की जिससे अधर्म पर धर्म की विजय के लिएशक्ति का अवतार हुआ और देवी ने मधु-कैटव, शुम्भ-निशुम्भ व महिषासुर आदि दैत्यों का वध किया।

दुर्गा पूजा की विधि:

वैसे तो हम सभी नवरात्रों मे देवी के 9 स्वरूपो की पूजा करते है। पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्र्हाम्चारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चोथी कुष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवी कालरात्रि, आठवी महागोरी और नोंवी सिद्धिदात्री। दुर्गा भक्ति मे नवदा भक्ति का बड़ा महत्व बताया गया है।

“प्रथम भगती संतन्ह कर संगा |
दुसरि रति मम कथा प्रसंगा ||
गुरु पद पंकज सेवा तीसरि भगती अमान |
चोथी भगती मम गुन गन करइ कपट तजि गान ||
मन्त्र जाप मम दृढ बिस्वासा |
पंचम भजन सो बेद प्रकासा ||
छठ दम सील बिरति बहु करमा |
निरत निरंतर सज्जन धरमा ||
सातवँ सैम मोहि मय जग देखा |
मोते संत अधिक करि लेखा ||
आठवां जथालाभ संतोषा |
सपनेहुँ नहीं देखि परदोषा ||
नवम सरल सब सन छलहीना |
मम भरोस हियँ हरष न दीना ||”

साधक स्नान करके पवित्र हो आसन-शुद्धीकी क्रिया सम्पन करके शुद्ध आसन पर बैठे; साथमे शुद्ध जल, पूजनसामग्री और वेद-ग्रंथो की पुस्तक को अपने सामने काष्ठ आदि के शुद्ध आसन पर विराजमान करे। ललाट मे अपनी रूचि के अनुसार भस्म, चन्दन अथवा रोली लगा ले, शिखा बांध ले; फिर पूर्वाभिमुख होकर तत्व-शुद्धीके लिए 4 बार आचमन करे।

दुर्गा पूजा पर १० पंक्तियाँ | 10 Lines on Durga Puja:

“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता : |
यत्रैतास्तु न पूज्यन्तेसर्वास्तत्राफला : क्रिया : ||”

  1. देवता भी कहते है की जहां नारी की पूजा होती है, वहा देवता निवास करते है। इसलिए हमे नारी का आदर करना चाइ।
  2. ईश्वर की पूजा करने से हमारा मन व चित शांत रहता है।
  3. दुर्गा की पूजा करने से हम शक्तिवान होते है ।
  4. दुर्गा पूजा करने से हमे ज्ञान व विवेक की प्राप्ति होती है।
  5. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार।
  6. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार  सितंबर से अक्टूबर महीने में दुर्गा पूजा त्योहार मनाया जाता है।
  7. माँ दुर्गा महिषासुर का वध करके बुराई के ऊपर अच्छाई की विजय प्राप्त की।
  8. बुराई के ऊपर अच्छाई की विजय के रूप में दुर्गा पूजा मनाया जाता है।
  9. दुर्गा की पूजा करने से हमे मन-सम्मान व यश की प्राप्ति होती है।
  10. नारी को माँ अन्नपूर्णा का अवतार माना जाता है।

निष्कर्ष:

हमे भगवान मे आस्ता रखनी चाइए क्योंकि ये एक चमत्कारि व अद्र्श्ये शक्ति है। जो हमे जीवन मे सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। भगवान की पूजा करने व उनका चिंतन करने से हमे जो विवेक प्रभु ने दिया है। उससे हम अपने जीवन की कठिन से कठिन परिस्थिति मे भी जीवन के सभी निर्णय आसानी से ले सकते है। भगवान की पूजा करने से हमारे सभी पापो का नही नाश होता है।

“नारी निंदा मत करो,
नारी रतन की खान |
नारी से है नर रूप,
जैस धुरव प्रह्लाद समान” ||

दुर्गा पूजा पर FAQs | FAQs on Durga Puja in Hindi:

Q. दुर्गा पूजा कितने दिनों तक चलती है?

Ans. दुर्गा पूजा पांच दिनों तक चलती है, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी को देवी की पूजा की जाती है।

Q. महालया कब होता है?

Ans. दुर्गा पूजा से पहले की अमावस्या को महालया मनाया जाता है।

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